दुनिया का एक ऐसा गांव जहां कुंभकरण की नींद सोते हैं लोग, जानिए इसकी वजह

  • कजाकिस्तान में स्थित है यह रहस्मयी गांव
  • 600 के करीब है आबादी
  • वजह जानने की कोशिश में लगे दुनियाभर के वैज्ञानिक

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-16 11:58 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। कई सुलझे-अनसुलझे रहस्यों से भरी इस दुनिया में एक ऐसा गांव भी मौजूद है जहां के लोग लंबी नींद सोने के लिए जाने जाते हैं। हम बात कर रहे हैं कजाकिस्तान देश में बसे कलाची गांव के लोगों की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यहां रहने वाले लोग महीने तक सोते हैं। यहां रहने वाले लोगों की इस अजीब विशेषता के चलते इस गांव को स्लीपी हॉलो के नाम से भी जाना जाता है।

बीच रास्ते में सो जाते हैं लोग

इस गांव के लोगों पर नींद का इतना प्रभाव है कि यहां के लोग चलते-चलते बीच रास्ते में और काम करने के दौरान अचानक सो जाते हैं। ये लोग इतनी गहरी नींद में सोते हैं कि इनको नींद से उठाना बेहद मुश्किल हो जाता है। यहां तक की इनके पास अगर बम धमाका भी हो जाए तब भी यह नींद से नहीं उठते हैं। इस गांव के लोग सोने की समस्या से बुरी तरह जूझ रहे हैं।

2010 में सामने आया था पहला मामला

लगभग 600 लोगों की आबादी वाले इस गांव में करीब 14 प्रतिशत लोग लंबी और गहरी नींद लेने की समस्या से ग्रस्त हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2010 में यह घटना पहली बार यहां के एक स्कूल में सामने आई थी। जहां कुछ विद्यार्थी क्लास रूम में अचानक सो गए थे और कई दिन तक नींद से नहीं उठे थे। इसके बाद लोगों ने उन्हें उठाने का बहुत प्रयास भी किया लेकिन वह नींद से नहीं उठे। इस घटना के बाद धीरे-धीरे गांव के अन्य लोग भी इस समस्या से ग्रस्त होने लगे।

शोधकर्ता भी नहीं जान पाए असली वजह

कलाची गांव के लोग की इस अजीबोगरीब समस्या के पीछे की वजह जानने की कोशिश में दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हुए हैं। लेकिन अभी तक कोई भी इसमें सफल नहीं हो पाया है। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस गहरी और लंबी नींद के पीछे कोई खास बीमारी हो सकती है। हालांकि इसको लेकर वे अभी तक कोई ठोस तथ्य पेश नहीं कर पाए हैं।

वैज्ञानिको ने बताई वजह

वहीं कुछ वैज्ञानिकों ने यहां के लोगों की इस समस्या पर शोध किया है। जिसमें यह निकलकर सामने आया है कि कलाची गांव के लोगों की इस बीमारी के लिए यहां का दूषित पानी जिम्मेदार है। वैज्ञानिको के द्वारा किए गए मेडिकल टेस्टों में यह पाया गया कि इस गांव के पानी में मोनो-ऑक्साइड मौजूद है, जिस वजह से गांव के लोग कई महीने तक सोते रहते हैं।

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